
गढ़वाल की पहाड़ियों से निकलकर गांव की गलियों तक एक नाम गूंजा और वो था लच्छू पहाड़ी। छोटे कद के इस शख्स ने वो कर दिखाया जो बड़े बड़े नेता भी नहीं कर पाए। जैसर की पंचायत सीट से उसने जब नामांकन कराया तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक स्टेज पर डांस करने वाला कलाकार पूरे गांव की राजनीति हिला देगा। प्रचार का तरीका भी ऐसा था कि हर कोई देखता रह गया। कभी घोड़े पर बैठकर गली गली गया तो कभी लोगों के बीच खुद नाचकर अपनी बात रखी। लोग उससे मिलकर मुस्कुरा उठते थे। कोई रील बनवाता तो कोई सेल्फी खिंचवाता।
बृहस्पतिवार को जब गिनती खत्म हुई तो सबकी नजरें वहीं टिकी थीं। नतीजा आया तो लच्छू पहाड़ी सब पर भारी पड़ गया। उसे तीन सौ अड़तालीस वोट मिले। पीछे रहे कैलाश राम को दो सौ तीस वोट मिले। पप्पू लाल दो सौ सत्ताईस पर और प्रताप राम एक सौ अठारह पर रुक गए। जैसर की गली से जो शख्स हौसले के साथ निकला था उसने पंचायत की कुर्सी तक पहुंचकर साबित कर दिया कि अगर जज्बा हो तो कद मायने नहीं रखता।