
देहरादून, उत्तराखंड की धरती ने हमेशा से प्रतिभाओं को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक नाम है रूपाली वशिष्ठ, जिन्होंने हाल ही में “मिसेज इंडिया 2025” का खिताब अपने नाम किया। ₹2,00,000 के कैश प्राइज, क्राउन और ट्रॉफी से सम्मानित होकर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि स्त्री केवल गृहस्थी तक सीमित नहीं, बल्कि साहित्य, शिक्षा, समाज सेवा और सौंदर्य के मंच पर भी समान रूप से चमक सकती है। इससे पहले वे “मिसेज उत्तराखंड 2024” रह चुकी हैं। पीएचडी शोधार्थी, लेखिका, शिक्षिका और भारतीय मानव अधिकार संगठन की जिला अध्यक्ष के रूप में उन्होंने बहुआयामी पहचान बनाई है। प्रस्तुत है उनसे हुई विस्तृत बातचीत—
प्रश्न 1: सबसे पहले, मिसेज इंडिया 2025 का ताज अपने सिर पर सजते ही आपके मन में कौन-सी भावनाएँ उमड़ीं?
रूपाली वशिष्ठ: यह क्षण मेरे जीवन का स्वर्णिम पल था। मुझे ऐसा लगा जैसे वर्षों की मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास का प्रतिफल एक ही क्षण में मिल गया। यह जीत केवल मेरी नहीं है, बल्कि उन सभी महिलाओं की है जो अपने सपनों को साकार करने का साहस रखती हैं।
प्रश्न 2: आपने 2024 में मिसेज उत्तराखंड का खिताब भी जीता था। वहाँ से यहाँ तक का सफर कैसा रहा?
उत्तर: मिसेज उत्तराखंड जीतने के बाद मेरे भीतर और आत्मबल आया। मैंने महसूस किया कि अगर हम निरंतरता और लगन बनाए रखें तो सीमाएँ स्वयं टूट जाती हैं। मिसेज इंडिया का मंच चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अनुभव, साहित्यिक दृष्टि और आत्मविश्वास ने मुझे यहाँ तक पहुँचाया।
प्रश्न 3: शिक्षा और साहित्य में आपकी यात्रा भी उल्लेखनीय रही है। कृपया कुछ बताइए।
उत्तर: मैं एक पीएचडी विद्वान और लेखिका हूँ। अब तक मेरी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जैसे – “लखमंडल,” “भावनाओं के पंख,” और “मेरी कलम से”। इसके अतिरिक्त मैंने सम्मिलित पुस्तकों जैसे कहानियों का संगम, शक्ति स्वरूपा, जिंदगी फिर मुस्कुराएगी, असुनी कहानियां, स्वर्णिम भारत, यशोदा का नंदलाला आदि में भी लेखन किया है।
साहित्य मुझे समाज की गहराइयों से जोड़ता है और यही मेरे व्यक्तित्व का आधार है।
प्रश्न 4: आपने शिक्षा के क्षेत्र में भी अनुभव प्राप्त किया है। वह आपके व्यक्तित्व को कैसे आकार देता है?
उत्तर: मुझे इंटर कॉलेज में 2 वर्ष और डिग्री कॉलेज में 4 वर्ष अध्यापन का अनुभव है। अध्यापन से मैंने धैर्य, संवाद और संवेदनशीलता सीखी। यह अनुभव मुझे मंच पर आत्मविश्वास से खड़े होने और समाज के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण साझा करने की शक्ति देता है।
प्रश्न 5: आप भारतीय मानव अधिकार संगठन की जिला अध्यक्ष भी हैं। इस भूमिका में आपका योगदान क्या रहा?
उत्तर: मानवाधिकार संगठन से जुड़ना मेरे लिए सामाजिक उत्तरदायित्व का हिस्सा है। समाज के हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज़ बनना और उनकी समस्याओं को उचित मंच तक पहुँचाना मेरा ध्येय है। मुझे लगता है कि सुंदरता तभी सार्थक है जब उसके साथ संवेदनशीलता और सेवा भी जुड़ी हो।
प्रश्न 6: आपके शोध-पत्र और ऐतिहासिक लेखन पर भी रोशनी डालें।
उत्तर: मैंने कई शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं, जैसे – “लखमंडल का विकसित भारत में योगदान,” “अहिल्याबाई होल्कर,” “पुराण जागरण काल,” “जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क,” “अफ्रीकी इतिहास,” और “उत्तराखंड की महिलाओं की सांस्कृतिक भागीदारी।”
ये विषय मेरी अकादमिक यात्रा और समाज व संस्कृति के प्रति लगाव को दर्शाते हैं।
प्रश्न 7: आपको अब तक अनेकों पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। इनमें से कौन-सा आपके दिल के सबसे करीब है?
उत्तर: सभी सम्मान मेरे लिए प्रेरणा हैं, लेकिन “साहित्य शिरोमणि पुरस्कार 2025” और “मिसेज इंडिया 2025” मेरे जीवन के दो ऐसे पड़ाव हैं जो मेरी पहचान को वैश्विक पटल पर ले गए।
प्रश्न 8: युवा महिलाओं और छात्राओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
उत्तर: मैं यही कहना चाहूँगी कि सपनों को कभी छोटा मत समझो। परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, आत्मविश्वास और मेहनत से सब संभव है। शिक्षा, संवेदनशीलता और आत्मसम्मान – यही तीन स्तंभ हैं जो जीवन को ऊँचाइयों तक ले जाते हैं।
रूपाली वशिष्ठ जी न केवल सौंदर्य का प्रतीक हैं बल्कि शिक्षा, साहित्य और समाज सेवा की एक सशक्त आवाज़ भी हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि एक स्त्री अपनी कलम, अपनी बुद्धि और अपने व्यक्तित्व के दम पर हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती है। उनका जीवन हर महिला और युवाओं के लिए प्रेरणा है।