
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 15-16 सितंबर की दरमियानी रात ऐसी त्रासदी की गवाह बनी, जिसने पूरे प्रदेश को भीतर तक हिला दिया। देखते ही देखते आसमान से बरसी आफत ने सब कुछ तबाह कर दिया। मकान ढह गए, पुल बह गए, सड़कें टूट गई और सबसे दर्दनाक 24 जिंदगियां कुदरत की इस मार की भेंट चढ़ गई।
देहरादून आपदा में अभी तक 24 लोगों के शव बरामद
आपदा के तीन दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। अब तक 24 शव मलबे और नदियों से निकाले जा चुके हैं, जबकि 17 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। परिवारजन अब भी किसी चमत्कार की उम्मीद में रेस्क्यू टीमों की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। लेकिन वक्त बीतने के साथ उम्मीद की रोशनी मंद पड़ती जा रही है।
पहले भी बारिश से जूझ चुका है देहरादून
बता दें ये पहली बार नहीं है जब dehradun rain से इस कदर जूझा है, जलभराव और बाढ़ जैसे हालात यहां आम रहे हैं। लेकिन इस बार कुदरत ने जो कहर बरपाया, वह किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। नदियों का सैलाब घरों को बहाकर ले गया, गाड़ियां तक पलट गई, लोग लापता हो गए।
आवागमन भी ठप
आपदा ने देहरादून की धड़कनों को भी रोक दिया। दून से हिमाचल को जोड़ने वाला पांवटा साहिब हाईवे प्रेमनगर के पास बह गया, देहरादून-मसूरी रोड कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हुआ। हाईवे से आवाजाही अब भी बाधित है। हरिद्वार-देहरादून मार्ग और सहस्त्रधारा, मालदेवता इलाकों में भी तबाही के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं।